Saturday, 2 March 2024

Silence

Silence makes you calm?

Or does silence make you edgy?


Silence empties..

Or silence fills you up?


Silence inside a hollow tin -

Feels like nothingness,

Words with no sound,

Vaccum filled with crickets and wind,

Like insignificance tangled up in a clock

And every tick is a reminder of the void?


Or silence that takes over

Feels like wholeness,

Songs in monotone,

Isolating you in a room full of people

Like chainlocks laden with raw iron in deep water

And every breath adds a burden of existence?


Learn to let go in silence -

Break the censor,

but stay in peace;

Add a ring to the words,

Rythm to the music;

Let silence create a blank canvas

That paints what is inside,

What is you.

Wednesday, 6 December 2023

दिसम्बर

दिसम्बर पर काफी बोझ होता है,

हिसाब की किताब खुल जाती है -

पन्ने उलट-पलट कर

खाता balance करने में लग जाते हैं सब!

फिर जनवरी में छूटे  fitness के संकल्प  

फरवरी में दोस्त से झगड़े

जून की नाकाम Goa trip 

अगस्त का रह गया promotion 

और अक्टूबर से शुरू dance class  


पूरे साल के अधूरे किस्से

गठरी में बाँध कर 

सर पर लादे फिरते हैं सब;

कहीं एक-आध टुकड़ा मिल जाए   

तो साल के साथ-साथ इस दिसंबर

ये किस्सा भी ख़त्म  किया जाए!


वरना अगले जनवरी का resolution तो है ही,

और दोस्त को फरवरी में मना लेंगे,

फिर जून में Goa ..!  

Thursday, 22 June 2023

Flipped

Everyday

Every eye 

That saw through me;

Strangers and friends;

Empty hearts and blank faces;

Sounding trumpets

With failing attempts to fit

Every personality 

into square boxes

they've been carrying

all their lives;

Breaking, beating, moulding

into acceptable standards

what they cannot fathom

beyond the square edges

of their padlocked life's learning -


This one time,

I flipped.

Monday, 20 February 2023

रोहित के लिए

११ साल हुए,

हम दो लोग भटकते हुए

अपने अपने शहरों से

जुहू चौपाटी पहुंचे;

बेरोज़गार थे, 

ज़िन्दगी का compass हर दिशा में

अपनी पूँछ काटते doggie सा 

 गोल-गोल घुमाता था;

ज्योमेट्री समझते थे -

2πr में टिकने को कोई कोना नहीं होता!

पर उम्मीदें उफान मार रही थीं.. 

आधी रात को 

लकड़ी की चम्मच से फालूदा काट कर 

रोहित का बर्थडे मनाया था

४ घंटे beach पर

रेत को पाँव से कुरेदते 

अपनी-अपनी सुनाते..

(शायद एक तस्वीर भी नहीं खींची 

पर ज़हन में HD-recording छपी है!)

वहाँ से चल के

Marine Drive पर बैठे थे 

एक सवाल उठा -

life बहुत तेज़ भागती है 

समझ नहीं आता साला करना क्या है?

जवाब मिला - यही तो करना है

समुन्दर की लहरें ज़ोर डालेंगी- 

पॉंव में चप्पल लटका कर 

सवाल पूछने हैं 

जवाब ढूंढ़ने हैं 

खुद से, एक-दुसरे से!

१६ साल घर में रहे  

पिछले १८ साल से

एक-दुसरे को पाल रहे हैं..

हिम्मत-डर, कमियाँ-खूबियाँ 

सब balance करते हैं!


उस दिन को आज ११ साल हुए,

थोड़े बाल पक गए हैं

थोड़ी हिम्मत बढ़ गयी है

और उम्मीदें आज भी उफान मार रही हैं

नए सवाल हैं..

जवाब भी नए मिल रहे हैं! 

Saturday, 22 October 2022

सवाल

फटे हुए आँसू गैस के गोले
सड़क पर पलटी दूध की बाल्टियाँ 
लाठियों के ज़ोर पर बिखरी पगड़ियां 
सवाल नहीं पूछतीं 

बिके हुए अख़बारों की काली स्याही
उनके साझेदार रंगीन इश्तहार
और पेशेवर माइक्रोफ़ोन भी
सवाल नहीं पूछते

जन-नेताओं के बंगलों में 
लबालब भरे घी के कटोरे
और सर के बल टंगे चमचे
सवाल नहीं पूछते

रोज़ की दौड़ में,
भेड़-चालों  में
अपना आवेग रौंद कर फिरती
बेइरादा ज़िंदा लाशें 
सवाल नहीं पूछतीं

सवालों के उठने के लिए ज़रूरी है
अख़लाक़ का ज़िंदा रहना
ऊँचे तान पर छिड़े खोखले नारों के
उफान में न बह जाना
समुदाय की स्वीकृति के 
हिमपात में जम न जाना..

सवालों के उठने के लिए ज़रूरी है
एक अनकहा जज़्बा होना
विद्रोह की शक्ति होना
सच का ख़फ़ा होना !