The Repertoire Of Life
Sunday, 8 May 2022
सुकून
कब से सब बिखरा पड़ा है यहाँ!
सारी गलतियों समेट कर अपनी
एक गट्ठर में लपेट लेते हैं;
रद्दी, पुराने अखबार के साथ निकाल देंगे sunday को
एक सही तो निकलेगा
चार पैसे का,
सुकून, हमारा
अब किसी का नहीं, न सही!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment